संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के ‘प्रोजेक्ट अमृत’ का सफल आयोजन

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संत निरंकारी मिशन की सामाजिक शाखा संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वाधान में बाबा हरदेव सिंह की अनंत सिखलाईयों से प्रेरणा लेते हुए ‘प्रोजेक्ट अमृत’ का आयोजन किया गया। जोन के जोनल इंचार्ज विवेक कालिया ने बताया कि इस उपलक्ष पर सोलन जोन० 5A में जिला सिरमौर व जिला सोलन की 27 ब्रांचों में इस आयोजन को किया गया जिसमें कि 130 के करीब पानी के जल स्त्रोतों व बावड़ी घाटों की सफाई की गई।

सोलन के अन्तर्गत रबौण, सलोगड़ा, कण्डाघाट, कुमारहट्टी, औच्छघाट, नौणी आदि विभिन्न स्थानों के 17 जल स्त्रेतों की सफाई की गई, जिसमें कि मिशन के स्वयं सेवक और सेवादल के सदस्य सम्मिलित हुए। इस अवसर पर पूरे भारत वर्ष के विभिन्न विश्वविद्यालय के हजारों छात्रों एवं शिक्षकों के साथ-साथ कई संस्थाओ व पर्यावरण संरक्षण से जुड़े हुए अनेक गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया।

रेडियो चैनल 92.7-बिग एफ.एम. एवं भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की भी इस अवसर पर भागीदारी रही। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण संत निरंकारी मिशन की वेबसाईट के माध्यम से किया गया जिसका लाभ देश एवं विदेशों में बैठे सभी श्रद्धालु भक्तों ने प्राप्त किया।

सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित की पावन छत्रछाया में प्रातः 8.00 बजे ‘अमृत प्रोजेक्ट’ के अंतर्गत ‘स्वच्छ जल, स्वच्छ मन’ परियोजना के दूसरे चरण का शुभारम्भ यमुना नदी के छठ घाट, आई. टी. ओ, दिल्ली से किया गया। बाबा हरदेव सिंह जी महाराज की शिक्षाओं से प्रेरित यह परियोजना समस्त भारतवर्ष के 27 राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों के 1533 से अधिक स्थानों पर 11 लाख से भी अधिक स्वंयसेवकों के सहयोग से एक साथ विशाल रूप में आयोजित की गई।

सतगुरु माता ने प्रोजेक्ट अमृत के अवसर पर अपने आर्शीवचनों में फरमाया कि हमारे जीवन में जल का बहुत महत्व है और यह अमृत समान है। जल हमारे जीवन का मूल आधार है। परमात्मा ने हमें यह जो स्वच्छ एवं सुंदर सृष्टि दी है, इसकी देखभाल करना हमारा कर्तव्य है।

मानव रूप में हमने ही इस अमूल्य धरोहर का दुरुपयोग करते हुए इसे प्रदूषित किया है। हमें प्रकृति को उसके मूल स्वरूप में रखते हुए उसकी स्वच्छता करनी होगी। हमें अपने कर्मो से सभी को प्रेरित करना है न कि केवल शब्दों से। कण -कण में व्याप्त परमात्मा से जब हमारा नाता जुड़ता है और जब हम इसका आधार लेते है तब हम इसकी रचना के हर स्वरूप से प्रेम करने लगते है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि जब हम इस संसार से जाये तो इस धरा को और अधिक सुंदर रूप में छोड़कर जाये।

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