नवचेतना पर मास्टर ट्रेनर्स के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
पड़ोसी राज्यों की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में भी ड्रग्स माफिया सक्रिय हैं और वह यहां की शांत फिजाओं में नशे का जहर घोल रहे हैं। इसका असर यहां की युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर हुए 2019 के ड्रग्स सर्वे के अनुसार हिमाचल प्रदेश के पांच जिलों में ड्रग्स का प्रभाव ज्यादा देखा गया है। इनमें चंबा, मंडी, कुल्लू, शिमला और सोलन शामिल है।
इसके बाद केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने यहां स्कूल स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चलाने की निर्णय लिया ताकि हमारी युवा पीढ़ी को स्कूल स्तर पर ही लाइफ स्किल से जोड़ कर नशे से दूर रखा जाए। इसी कड़ी में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, हिमाचल प्रदेश सरकार व एनसीईआरटी ने मिलकर नवचेतना कार्यक्रम लांच किया है।
इसके तहत नवचेतना पर मास्टर ट्रेनर्स के लिए पहला प्रशिक्षण कार्यक्रम एससीईआरटी चंडीगढ़ और दूसरा कार्यक्रम एससीईआरटी सोलन में आयोजित किया गया। एससीईआरटी सोलन में नवचेतना पर मास्टर ट्रेनर्स के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें पीजीटी, टीजीटी और डाइट के 25 अध्यापकों ने भाग लिया।
सभी प्रतिभागी अध्यापक चंबा, मंडी, कुल्लू, शिमला और सोलन जिला के थे। प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिक्षकों ने ड्रग डिमांड रिडक्शन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना की केंद्रीय प्रायोजित योजना के तहत नवचेतना मॉड्यूल का प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम की सहायक समन्वयक प्रो. शैलजा ठाकुर ने बताया कि एससीईआरटी 19 से 21 जून 2023 तक नवचेतना पर मास्टर ट्रेनर्स का प्रशिक्षण आयोजित किया।
इसमें बच्चों में नशीले पदार्थ के उपयोग की प्रारंभिक रोकथाम के लिए एक मॉड्यूल का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण नवचेतना टीचर ट्रेनर मॉड्यूल के लेखक, द सोसाइटी फॉर द प्रमोशन ऑफ यूथ एंड मास (एसपीवाईएम) नई दिल्ली, के सलाहकार गैरी रीड और कल्याणी द्वारा आयोजित किया गया था।
नशीली दवाओं के उपयोग और जीवन कौशल पर जागरूकता और शिक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से पांच जिलों के 25 प्रतिभागियों को नवचेतना मॉड्यूल के माध्यम से जीवन कौशल और दवा शिक्षा पर सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया गया था, जो बच्चों और शिक्षकों को नशीली दवाओं के उपयोग के खतरे का मार्गदर्शन करने और मुकाबला करने में मदद करेगा।
एससीईआरटी सोलन की प्रिंसिपल प्रो. रजनी सांक्यान ने बताया कि यदि हम बच्चों में स्कूली स्तर पर ही लाइफ स्किल विकसित करें तो उन्हें हम नशे के दलदल में जाने से बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह मुहिम नशामुक्त हिमाचल की दिशा में कारगर साबित होगी। यहां प्रशिक्षण लेने वालों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि वह फील्ड में जाकर इसके बारे में स्कूली बच्चों और समाज को जागरूक करें ताकि हमारा हिमाचल नशा मुक्त हो सकें।