
संत निरंकारी मिशन सोलन ने मनाया अन्तराष्ट्रीय योग दिवस
संत निरंकारी मिशन ने आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस संत निरंकारी सत्संग भवन सोलन मे मनाया। सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज एवं निरंकारी राजपिता के निर्देशन में जहां आध्यात्मिक जागरूकता की अधिक महत्व दिया जा रहा है। वहीं समाज कल्याण के अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण, वास विकास युवाओ की ऊर्जा को सकारात्मक मागदर्शन देने हेतु अनेक परियोजनाओं को क्रियान्वित रूप से संचालित किया जा रहा है। मिशन इन गतिविधियों के लिए सदैव सराहा एवं प्रशंसा का पात्र भी रहा है।
सतगुरु माता का यही कहना है कि हम सभी में आध्यात्मिक आगृति भी संभव है जब हम शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ हो सभी हम सभी का संपूर्ण सर्वांगीण विकास हो सकता है। अतः हमें समय समय पर स्वास्थ्य जागरूकता हेतु भी अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए ताकि हम तन एवं मन से स्वस्थ रह सके। ‘योग दिवस’ कार्यक्रम का विशाल रूप में आयोजन संपूर्ण भारतवर्ष के 400 से अधिक स्थानों पर संत निरकारी मण्डल के निर्देशन में उत्साहपूर्वक किया गया।
जैसा कि विदित हो है कि वर्ष 2015 से हो संत निरंकारी मिशन की सामाजिक शाखा, संत निरंकारी चैरिटेबल फाउन्डेशन द्वारा योग दिवस’ कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।संत निरंकारी मिशन सोलन के जोनल हबार्ज विवेक कालिया ने बताया कि भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा इस वर्ष ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का विषय वसुभैव कुटुम्बकम के सिद्धांत वन वर्ल्ड वन हेल्य’ रखा गया है। योग भारत की प्राचीन परंपरा की एक अमूल्य देन है। यह व्यायाम का एक ऐसा प्रभावशाली रूप है जिसके माध्यम से ना केवल शरीर के अंगो अपितु मन, मस्तिष्क और आत्मा में संतुलन बनाया जाता है।
यही कारण है कि योग से शारीरिक व्याधियों के अतिरिक्त मानसिक समस्याओं से भी निदान प्राप्त किया जा सकता है। निरंतर योगाभ्यास द्वारा तेज दिमाग, स्वस्थ दिल, सकारात्मक भावों की जागृति और एक सुकून भरी जीवन शैली संभव है। अपने दैनिक जीवन में योग को अपनाकर हम न केवल तनाव मुक्त बन सकते है अपितु एक आनंद वाली सरल जीवन जीने की प्रेरणा भी हम सभी को प्राप्त होती है। वर्तमान समय की भागदौड़ को देखते हुए आज योग की नितांत आवश्यकता भी है। विश्व के लगभग सभी देशों द्वारा योग की इस संस्कृति को सहज रूप में अपनाया जा रहा है।
सतगुरु माता सुरक्षा महाराज ने भी अपने विचारों में ‘स्वस्थ मन सहज जीवन अपनाने का दिव्य मार्गदर्शन देते हुए यही समझाया कि हमें अपने शरीर को निरंकार प्रभु की अमोलक देन समझते हुए उसे स्वस्थ एवं सेहतमंद बनाए रखना है। अतः एस स्वास्थ्यवर्धक कार्यक्रमों का उद्देश्य यहाँ है कि हमें भागदौड़ बालों जिदंगी में अपनी सेहत पर और ध्यान देते हुए उसे बेहतर एवं उत्तम बनाते हुए अच्छा जीवन जीना है।