हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल के निर्णय
प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के रूप में अपनाने का निर्णय लिया
उपेक्षित वरिष्ठ नागरिकों, अनाथ बच्चों, विशेष रूप से सक्षम बच्चों और निराश्रित महिलाओं के लिए किया जाएगा नए एकीकृत घरों का निर्माण
भारत के विभिन्न दर्शनीय स्थलों का प्रति वर्ष शैक्षिक भ्रमण का प्रावधान
पात्र आवासियों को स्टार्ट-अप आरंभ के लिए मिलेंगे एकमुश्त दो लाख रुपए
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आज यहां आयोजित प्रदेश मंत्रिमंडल की दूसरी बैठक में महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के दिशा-निर्देशों को स्वीकृति प्रदान की गई। विगत माह हुई मंत्रिमंडल की बैठक में एनपीएस कर्मचारियों के लिए पुरानी पैंशन बहाल करने का निर्णय लिया गया था।
मंत्रिमंडल ने राज्यपाल से हिमाचल प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र 14 मार्च से 6 अप्रैल, 2023 तक आयोजित करने की सिफारिश भी की। बजट सत्र में 18 बैठकें होंगी।
मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के अंतर्गत अनाथ और विशेष रूप से सक्षम बच्चों, निराश्रित महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को लाया गया है, जिसमें उन्हें हर संभव सहायता का प्रावधान किया गया है। योजना में प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों को अपने बच्चों (चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट) के रूप में अपनाया है।
मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत मौजूदा अधोसंरचना के उन्नयन के साथ-साथ मौजूदा संस्थानों का युक्तिकरण कर उन्हें सुदृढ़ किया जाएगा ताकि आवासियों को बेहतर सुविधाएं प्राप्त हो सकें। उनके लिए अटैच शौचालय वाले कमरे, मनोरंजन व गतिविधि कक्ष, कॉमन रूम, म्यूजिक रूम, स्मार्ट क्लास रूम, कोचिंग रूम, इनडोर व आउटडोर खेल सुविधाओं सहित अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इस योजना के तहत उपेक्षित वरिष्ठ नागरिकों, अनाथ बच्चों, विशेष रूप से सक्षम बच्चों और निराश्रित महिलाओं की बेहतर देखभाल के लिए नए एकीकृत घरों का निर्माण चरणबद्ध तरीके से एक परिसर में अलग-अलग खण्डों में किया जाएगा। इनमें सभी आधुनिक सुविधाओं का समावेश होगा। यह आधुनिक एकीकृत घर जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी तथा जिला मंडी के सुंदरनगर में स्थापित होंगे।
योजना के अंतर्गत संस्थान में रहने वाले बच्चों की गुणात्मक शिक्षा का प्रावधान किया गया है ताकि उन्हें बेहतर कोचिंग, संदर्भ पुस्तकें अथवा कोचिंग सामग्री मिल सके। समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के माध्यम से ऐसे बच्चों को मेंटरशिप भी प्रदान की जाएगी। दसवीं से बाहरवीं तक के बच्चों को सूचीबद्ध एजेंसियों के माध्यम से करियर काउंसलिंग भी प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा के लिए भी इन बच्चों को सरकार सहायता प्रदान करेगी। इसके अलावा इन बच्चों के समग्र व्यक्तित्व विकास के लिए मासिक पिकनिक आयोजित करने का भी प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत 18 वर्ष से अधिक आयु के पात्र आवासियों को कोचिंग, छात्रावास शुल्क, शिक्षण शुल्क आदि के लिए प्रति व्यक्ति एक लाख रुपए प्रति वर्ष प्रदान करने के अलावा कोचिंग की अवधि के दौरान चार हजार रुपए प्रति आवासी प्रति माह छात्रवृत्ति प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना में इन संस्थानों के आवासियों को विवाह के लिए दो लाख रुपए अथवा वास्तविक खर्च, जो भी कम हो, प्रदान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त इन संस्थानों में रहने वाले प्रत्येक बच्चे, निराश्रित महिलाओं का आवर्ती जमा खाता खोला जाएगा, जिसमें सरकार द्वारा 0-14 वर्ष की आयु के बच्चों को एक हजार रुपए प्रति बच्चा प्रति माह, 15-18 वर्ष आयु के बच्चों व एकल महिलाओं को दो हजार पांच सौ रुपए प्रति माह की सहायता राशि देगी। इन संस्थानों के आवासियों को भारत के विभिन्न दर्शनीय अथवा ऐतिहासिक स्थलों का पंद्रह दिन का शैक्षिक भ्रमण प्रति वर्ष आयोजित करने का भी प्रावधान है, जिसमें आवासियों के लिए यात्रा की व्यवस्था शताब्दी ट्रेन, एसी वॉल्वो अथवा हवाई सुविधा के साथ-साथ थ्री स्टार होटलों में ठहरने की व्यवस्था होगी। योजना में इसी तर्ज पर वृद्धाश्रमों एवं नारी सेवा सदनों के आवासियों को भी प्रति वर्ष 10 दिन की यात्रा व ठहरने का प्रावधान किया गया है।
योजना के तहत बाल देखरेख संस्थानों को छोड़ने वाले सभी बच्चों के लिए 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने के बाद भी 21 वर्ष की आयु तक और अनाथ बच्चों के लिए 27 वर्ष की आयु तक वास्तविक दरों पर छात्रावास शुल्क और शिक्षण शुल्क प्रदान करने की व्यवस्था करने के साथ-साथ अध्ययन अवधि के दौरान छात्रवृत्ति के रूप में चार हजार रुपए प्रति माह प्रति बच्चे को उनके व्यक्तिगत खर्चों को पूरा करने के लिए सहायता राशि दी जाएगी। इस योजना के अंतर्गत पात्र आवासी, जो 18 वर्ष के आयु पूर्ण करने के बाद अपना स्टार्ट-अप आरंभ करना चाहते हैं, उन्हें दो लाख रुपए प्रति व्यक्ति एकमुश्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत अनाथ बच्चों को 18 वर्ष की आयु के बाद 27 वर्ष तक पश्चावर्ती देखभाल संस्थानों में आवासीय सुविधाओं के साथ-साथ भोजन, आश्रय और वस्त्र भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। इस योजना के तहत जिन अनाथ बच्चों के नाम पर कोई भूमि नहीं है, उन्हें 27 वर्ष की आयु के बाद घर के निर्माण के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में तीन बिस्वा भूमि देने के साथ-साथ आवास निर्माण के लिए तीन लाख रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाएगी।
योजना के तहत इन संस्थानों में रहने वाले सभी आवासियों को वस्त्र अनुदान के रूप में दस हजार रुपए की राशि प्रति वर्ष उनके बैंक खाते में जमा करवाई जाएगी ताकि वह अपने पसंद के वस्त्र व जूते खरीद सकें। इसके अतिरिक्त संस्थान में रहने वाले व्यक्तियों की देखभाल के लिए अतिरिक्त गृह माता अथवा पालक की नियुक्ति का भी योजना में प्रावधान किया गया है, ताकि उन्हें रहन-सहन में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।
मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत आवासीय को वर्ष भर आने वाले त्यौहार को मनाने के लिए प्रति त्यौहार 500 रुपए की अनुदान राशि भी दी जाएगी। योजना के तहत ऐसे वर्ग की सहायता के लिए 101 करोड़ के प्रारंभिक योगदान के साथ-साथ मुख्यमंत्री सुख-आश्रय सहायता कोष का गठन किया गया है।
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