
बच्चेदानी के कैंसर के शुरूआती लक्ष्णों को पहचानना मुश्किल, नियमित जांच ही बचाव डॉ. श्वेता
महिलाएं यदि अपनी नियमित जांच करवाती रहें, तो वह गंभीर से गंभीर स्त्री रोग से अपना बचाव कर सकती हैं, परंतु अक्सर महिलाएं अपने निजी अंगों से संबंधित बीमारियों के शुरूआती लक्ष्णों को अनदेखा कर गंभीर बीमारी की ग्रस्त में आ जाती हैं, वहीं अब समय के साथ-साथ चिकित्सा जगत में आई नई क्रांति से गंभीर व चुनौतीपूर्ण मामलों में मरीजों को बचाना संभव हो पाया है, वहीं अत्याधुनिक फर्टिलिटी-स्पेयरिंग सर्जरी (एफएसएस) ओवेयरियन कैंसर से संबंधित मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है।
यह बात आज सोलन में आयोजित प्रैसवार्ता में जानी मानी गाइनी कैंसर विशेषज्ञ डा. श्वेता तहलन ने कही, जिनके द्वारा हाल ही में ओवेरियन कैंसर से पीडि़त 20 वर्षीय युवा रोगी का अत्याधुनिक तकनीक से इलाज कर भविष्य में उसके गर्भाश्य एवं अंडाश्य को नुकसान होने से बचाया गया है। फोर्टिस अस्पताल में गाइनी ऑन्को-सर्जरी कंस्लटेंट डॉ श्वेता तहलन ने कहा कि महिलाएं ज्यादातर अपने अंदरूनी शरीर से संबंधित बीमारियों के शुरूआती लक्ष्णों को पहचानने में देरी एवं उसे बताने में हिचकिचातीं हैं तथा यही लापरवाही उनको गंभीर कैंसर के रूप में घेर लेती हैं।
उन्होंने बताया कि ओवेरियन (डिम्बग्रंथि या अंडाशयी) में कैंसर से पीडि़त महिलाएं ज्यादातर गर्भधारण न होने से मां बनने का सुख खो देती थी, परंतु अब स्त्री रोग संबंधी उपचार में फर्टिलिटी-स्पेयरिंग सर्जरी अब ऐसी महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण बनी है। उन्होंने बताया कि एक 20 वर्षीय अविवाहित महिला को पेट में सूजन और बेचैनी की समस्या हुई, जिसकी जांच करने पर उसके बच्चेदानी में एक बढ़ते टयूमर (गांठ की तरह दिखने वाला) का पता चला। मरीज की सर्जरी की गई जिसमें उसके ओवेरियन मास को हटा दिया गया और सर्जरी की गई, इसके अलावा उसके गर्भाशय और अन्य सामान्य अंडाशय को संरक्षित किया गया। Confirmed चरण में उन्हें दुर्लभ कैंसर का पता चला था, जिससे उन्हें फर्टिलिटी-स्पेयरिंग सर्जरी कराने में मदद मिली। ऑपरेशन के बाद, मरीज पूरी तरह से ठीक हो गई है और उसका मासिक चक्र सामान्य हो गया है। उन्होंने बताया कि इसी तरह अन्य दो 37 व 29 वर्षीय महिला मरीजों में भी बच्चेदानी में पाए गए टयूमर को इस तकनीक से ठीक किया गया है। इसमें 29 वर्षीय महिला मरीज को उसके कैंसर के अनुसार कीमोथैरेपी की भी आवश्यकता थी, जो कि अब अच्छा कर रही है। उन्होंने बताया कि सभी रोगियों को उनके कैंसर के प्रकार व चरण के अनुसार अलग-अलग उपचार योजना से स्वस्थ किया गया है। डा. श्वेता ने बताया कि कि ओवेरियन कैंसर आमतौर पर बुजुर्ग महिलाओं में होते हैं, लेकिन लगभग 10 प्रतिशत ओवेरियन कैंसर 45 से कम उम्र की महिलाओं में पाया जाता है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर ओवेरियन कैंसर का निदान 20 व 30 वर्ष की युवा मरीजों में किया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक रोगी का इलाज कैंसर के चरण, प्रकार और रोगी की उम्र के अनुसार अलग-अलग तरीके से किया जाता है। कुछ रोगियों में, प्रजनन-रक्षक सर्जरी संभव है तथा कुछ रोगियों में, सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी की आवश्यकता होती है।डॉ. तहलान ने आगे कहा कि फर्टिलिटी-स्पेयरिंग सर्जरी (गर्भाशय और एक अंडाशय को संरक्षित करना) कुछ कैंसर रोगियों के लिए एक विकल्प हो सकता है जो भविष्य में गर्भधारण करना चाहते हैं। हालांकि, ऐसे रोगियों को पूर्ण सर्जिकल स्टेजिंग सर्जरी (यह सुनिश्चित करने के लिए कि कैंसर फैल तो नहीं गया है) और ओवेरियन कैंसर को हटाने की आवश्यकता होती है। पुनरावृत्ति की संभावना को कम करने के लिए सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी की आवश्यकता हो सकती है। सफल परिणाम के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उपचार एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा किया जाए। ओवेरियन कैंसर का निदान आमतौर पर सर्जरी के बाद किया जाता है, और इसलिए अच्छे उपचार परिणामों के लिए उचित सर्जरी बेहद महत्वपूर्ण है।